Hamare Saath Sri Raghunath
"श्री रघुनाथ के साथ हमारी यह आत्मगान भजन है, जो हमें उनकी अनन्य भक्ति में लिपटे रहने की अनुभूति कराता है। इस भजन
"Hamare Saath Sri Raghunath" में हम श्री रघुनाथ की प्रतिष्ठा और उनके परम कृपालु स्वरूप की स्मृति को स्तुति करते हैं, जिन्होंने हमें अपने शरण में स्थापित कर दिया है।

यह भजन हमें उनके अद्वितीय गुणों की महत्ता को समझाता है और हमें उन्हें निरंतर ध्यान में रखने का प्रेरणा देता है।"
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो,
किस बात की चिंता ||
किया करते हो तुम दिन रात क्यों,
बिन बात की चिंता।
तेरे स्वामी को रहती है,
तेरी हर बात की चिंता।।
ना खाने की ना पीने की,
ना मरने की ना जीने की।
रहे हर स्वास पर भगवान के,
प्रिय नाम की चिंता।।
विभिषण को अभय वर दे किया,
लंकेश पल भर में।
उन्ही का कर रहे गुणगान तो,
किस बात की चिंता।।
हुई ब्रजेश पर किरपा,
बनाया दास प्रभु अपना।
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो,
किस बात की चिंता।।
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो,
किस बात की चिंता।।