Chal Man Hari Chatasaal Padhaoon
चल मन! हरि चटसाल पढ़ाऊँ।।
संत रैदास जी का यह भजन हमें मन को एक ऊँचाई की ओर प्रवृत्त करता है, जहाँ भक्ति और ज्ञान की शिक्षा से जुड़ा हर पल महत्वपूर्ण है। भगवान की भक्ति में मन को लगाने की अभिवृद्धि के लिए भजन करना एक साधना है और संत रैदास जी हमें इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु की साटी ग्यान का अच्छर,
इस भजन में गुरु की महत्ता को स्पष्टता से व्यक्त किया गया है। गुरु के साथी बनकर ज्ञान की ओर बढ़ना और सहज समाधि का अनुभव करना हमारे जीवन को सार्थक बनाता है।
बिसरै तौ सहज समाधि लगाऊँ।।
प्रेम की पाटी, सुरति की लेखनी,
ररौ ममौ लिखि आँक लखाऊँ।।
इस भजन में स्वयं को समर्पित करने की अपेक्षा है, जिससे हम प्रेम और आत्मा से जुड़ा अनुभव कर सकते हैं। इसके माध्यम से हमें सच्चे प्रेम की भावना का अनुभव होता है और आत्मा की सौंदर्य को सुरति की लेखनी के माध्यम से व्यक्त करने का सुझाव दिया जाता है।
येहि बिधि मुक्त भये सनकादिक,
ह्रदय बिचार प्रकास दिखाऊँ।।
भजन में राम भक्ति के माध्यम से मुक्ति की प्राप्ति का सुझाव दिया गया है। यह बताता है कि जब हम अपने ह्रदय को शुद्धि और भक्ति से भरते हैं, तो सनकादि मुनियों की तरह हम भी मुक्ति की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।
कागद कँवल मति मसि करि निर्मल,
बिन रसना निसदिन गुन गाऊँ।।
इस भजन में शब्दों के माध्यम से मानव जीवन की शुद्धता को बताया गया है और यह सिखाता है कि अच्छे कर्मों के माध्यम से ही हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं।
कहै रैदास राम भजु भाइ,
संत राखि दे बहुरि न आऊँ।।
इस अंत में संत रैदास जी हमें यह सीधे रूप से कहते हैं कि राम का भजन करें और संतों की रक्षा करें, ताकि हम बहुतिर्थी बन सकें और बार-बार आने की आवश्यकता न हो।"
संत रैदास जी का यह भजन हमें मन को एक ऊँचाई की ओर प्रवृत्त करता है, जहाँ भक्ति और ज्ञान की शिक्षा से जुड़ा हर पल महत्वपूर्ण है। भगवान की भक्ति में मन को लगाने की अभिवृद्धि के लिए भजन करना एक साधना है और संत रैदास जी हमें इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु की साटी ग्यान का अच्छर,
इस भजन में गुरु की महत्ता को स्पष्टता से व्यक्त किया गया है। गुरु के साथी बनकर ज्ञान की ओर बढ़ना और सहज समाधि का अनुभव करना हमारे जीवन को सार्थक बनाता है।
बिसरै तौ सहज समाधि लगाऊँ।।
प्रेम की पाटी, सुरति की लेखनी,
ररौ ममौ लिखि आँक लखाऊँ।।
इस भजन में स्वयं को समर्पित करने की अपेक्षा है, जिससे हम प्रेम और आत्मा से जुड़ा अनुभव कर सकते हैं। इसके माध्यम से हमें सच्चे प्रेम की भावना का अनुभव होता है और आत्मा की सौंदर्य को सुरति की लेखनी के माध्यम से व्यक्त करने का सुझाव दिया जाता है।
येहि बिधि मुक्त भये सनकादिक,
ह्रदय बिचार प्रकास दिखाऊँ।।
भजन में राम भक्ति के माध्यम से मुक्ति की प्राप्ति का सुझाव दिया गया है। यह बताता है कि जब हम अपने ह्रदय को शुद्धि और भक्ति से भरते हैं, तो सनकादि मुनियों की तरह हम भी मुक्ति की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।
कागद कँवल मति मसि करि निर्मल,
बिन रसना निसदिन गुन गाऊँ।।
इस भजन में शब्दों के माध्यम से मानव जीवन की शुद्धता को बताया गया है और यह सिखाता है कि अच्छे कर्मों के माध्यम से ही हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं।
कहै रैदास राम भजु भाइ,
संत राखि दे बहुरि न आऊँ।।
इस अंत में संत रैदास जी हमें यह सीधे रूप से कहते हैं कि राम का भजन करें और संतों की रक्षा करें, ताकि हम बहुतिर्थी बन सकें और बार-बार आने की आवश्यकता न हो।"