Kanhaiya Kanhaiya Pukara Karenge
इस भजन में साधक भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय भक्ति और प्रेम भावना को व्यक्त करते हैं। भगवान को 'कन्हैया' कहकर पुकारने का संकेत करते हैं और उनकी उपासना में लताओं में बृज की गलियों में चरण-चित लगाने का संकल्प करते हैं। भक्त यहाँ प्रेम के मंदिर की रचना करने का वचन देते हैं और भगवान को झूला झुलाने का संकल्प करते हैं।

उन्होंने विविध भावनाओं के साथ भगवान के सामने अपनी भक्ति का अभिवादन किया है। इस भजन में भक्त का संकल्प है कि वह हमेशा भगवान की पूजा-अराधना में रत रहेंगे और उनके प्रेम में नृत्य करेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के साथ अद्वितीय प्रेम में भक्त अपनी आत्मा को उनके चरणों में समर्पित करने का आदान-प्रदान करता है।
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे ।
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी,
उन्ही के चरण चित लगाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
बना कर हृदय में हम प्रेम मंदिर,
वहीँ उनको झूला झुलाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
उन्हें हम बिठाएंगे आँखों में दिल में,
उन्ही से सदा लौ लगाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
जो रूठेंगे हमसे वो बांके बिहारी,
चरण को पकड़ हम मनाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
उन्हें प्रेम डोर से हम बाँध लेंगे,
तो फिर वो कहा भाग जाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
उन्होंने छुडाये थे गज के वो बंधन,
वही मेरे संकट मिटाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
उन्होंने नचाया था ब्रह्माण्ड सारा,
मगर अब उन्हें हम नचाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
भजेंगे जहा प्रेम से नन्द नंदन,
कन्हैया छवि को दिखाया करेंगे,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे….
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे ।